कितने मोर्चे Quotes
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कितने मोर्चे Quotes
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“आत्महत्या से पहले की आख़िरी आवाज़ ज़िंदगी की ओर लौटने की ख़्वाहिश कि संकेत होती है।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“भय की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है । वह अनदेखा है और कल्पना से परे की चीज़ है । उसके परिणाम भयंकर होने का अंदेशा है, बस इसीलिए वह डरावना है ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“मुसीबत चाहे जितनी बड़ी हो, उसे अनदेखा करके या उससे पलायन करके उसे ख़त्म नहीं किया जा सकता। परेशानी के सामने मजबूती से खड़े रह कर, उससे लड़कर ही उसे ख़त्म किया जा सकता है।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“फौजियों के नाम और उनकी गौरव-गाथाएं उनकी युनिट में अक्सर दोहराई जाती हैं। कभी-कभी देश भी शायद उन्हें याद कर लेता होगा पर शहीद की पत्नी का कर्ज़ ये देश कैसे चुकाएगा? देश के लिए जान देने वाले सिपाहियों के बच्चों का जवाबदेह कौन है जो बिना बाप की छत्रछाया के बड़े होते हैं।' कुसुम अपनी ही धुन में बोले जा रही थी।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“समूचा देश बैठा है। कुछ यहाँ, कुछ टेलीविजन के सामने। नागरिक, राजनेता और बड़े अधिकारी तक, सब बैठे हैं वो औरत जो शहीद की पत्नी है, वही अकेली खड़ी है। अगर खड़ा होना सम्मान की बात है तो कम-से-कम कुछ मिनिट के लिए तो शहादत के सम्मान में सबको खड़ा हो जाना चाहिए।' कुसुम ने कहा।
'ये सम्मान पाने की सजा है या सजा की शुरूआत आज यहाँ से हो रही है।' लाउडस्पीकर की आवाज़ में उसके शब्द दब गए।”
― कितने मोर्चे
'ये सम्मान पाने की सजा है या सजा की शुरूआत आज यहाँ से हो रही है।' लाउडस्पीकर की आवाज़ में उसके शब्द दब गए।”
― कितने मोर्चे
“सेपरेशन की वजह से हमारी लाइफ अलग-सी हो गई है।' मिसेज गुरुंग भी बातों का हिस्सा बन गई।
'हाँ, इस वजह से कई तलाक बच गए और कई हो गए। ' सुधा ने अपने अंदाज़ में कहा।”
― कितने मोर्चे
'हाँ, इस वजह से कई तलाक बच गए और कई हो गए। ' सुधा ने अपने अंदाज़ में कहा।”
― कितने मोर्चे
“सिंगल पेरेंट्स का मतलब सिविलियन समाज के लिए नया है परन्तु फौज के लिए यह व्यवस्था उतनी ही पुरानी है जितना फौज का अस्तित्व।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“माँ की अपनी अदालत होती है, जहाँ वह वकील भी ख़ुद होती है और जज बन कर फैसले भी ख़ुद ही सुनाती है। माँ की दलीलों के सामने विपक्ष का कोई वकील नहीं टिकता।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“जवानी और बचपन के बीच की उम्र अंगारों पर चलने जैसी होती है। बचपने भाग कर बच्चे, बड़े हो जाना चाहते हैं मगर युवा अपने अधिकार क्षेत्र में उनका स्वागत नहीं करते।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“बचपन की जिज्ञासाओं पर भविष्य की ईमारत बनती है ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“इन्सानी फितरत है कि अनहोनी सबसे पहले कल्पना लोक से उतर कर हमारे दिमाग पर कब्जा कर लेती है और बहुत जल्दी हम उन ड़रावने विचारों को सच मान लेते हैं ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“औरत होने के मायने - "प्यार, अपनापन, हक जताने का अधिकार और निछावर हो जाने का हुनर, बस यही तो होती है औरत !”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“परिश्रमी लोगों के लिए काम करना ख़ुशी का सबब होता है । चुनौतियां उन्हें थकाने नहीं, उर्जावान बनाने का काम करती हैं ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“मौसम की बदमिजाजगी के चलते अपने बंकर ख़ाली छोड़ने पर कारगिल युद्ध झेलना पड़ा था । प्रकृति का नियम है कि कोई भी जगह ज़्यादा देर ख़ाली नहीं रहती । ख़ाली स्थान भरने के लिए जल्दी ही दूसरे दबंग पहुंच जाते हैं ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“इंसानी बस्ती में वीरानी का मतलब हर बार भर या कर्फ्यू नहीं होता । कभी-कभी वह किसी बड़ी तैयारी से पहले का सन्नाटा भी होता है ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“हमारी जीवन शैली, आज तक अंग्रेजों से प्रभावित हैं ।
अंग्रेजों ने सूर्योदय के देश को सूर्यास्त का उत्सव मनाने वाले देश में तब्दील कर दिया ।”
― कितने मोर्चे
अंग्रेजों ने सूर्योदय के देश को सूर्यास्त का उत्सव मनाने वाले देश में तब्दील कर दिया ।”
― कितने मोर्चे
“आदतें अच्छी हों या बुरी, उम्र के साथ-साथ पकने लगती हैं और कभी-कभी किसी एक व्यक्ति की कोई आदत, उसके परिवार की परंपरा बन जाती है ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“दीवार पर लगा दरवाज़े का पहरा, वक्त के दो फाड़ कर देता है । घर के भीतर की दुनिया और दहलीज़ों के बाहर का समाज, एक ही वक्त में अलग-अलग युग जी रहे होते हैं ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“इम्तेहान इंसान का हौसला जांचने आते हैं । वे तराशते हैं, जिंदगी का सलीका सिखाते हैं और दोबारा लौटने का भरोसा दे कर आगे बढ़ जाते हैं ।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“मेज के इस पार से उस पार होते ही सोच और समझ में भारी बदलाव आ जाता है !”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“औरत होने के मायने - प्यार, अपनापन, हक जताने का अधिकार और निछावर हो जाने का हुनर, बस यही तो होती है औरत !”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे